Friday 16 September 2016

बारीश@01:15

झाकी वाली सड़के सुनी हो गई...
बारिश की आड़ में उसकी रौनक खो गई...

जो रात भीड़ से भरी होती थी...
खंडवा की जनता नही सोती थी...

मगर आज यह..हो नही सका...
झाकीयों का कारवां..मन-मोह नही सका...

बस एक ही बात..इस बारिश से सुकुनी हो गई...
कुछ किसानों के चेहरे की खुशी..दोगुनी हो गई...:-)

मगर आज इस रात में...

झाकी वाली तो सड़के..सुनी हो गई...
बारिश की आड़ में उसकी रौनक खो गई...:-(

http://swapnil-girase.blogspot.in

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