ताकत तो सभी के खून मे है...
फर्क सिर्फ सब के जूनून मे हैं...
हारो ना कभी संघर्ष की परिस्थितियों से...
मज़ा तो संघर्ष के बाद के "सुकून" मे है...
फर्क सिर्फ सब के जूनून मे हैं...
हारो ना कभी संघर्ष की परिस्थितियों से...
मज़ा तो संघर्ष के बाद के "सुकून" मे है...