Friday 16 December 2016

साहस से बढ़ता..हर एक कदम ज़रूरी है...

कविता : साहस से बढ़ता..हर एक कदम ज़रूरी है...

कवि : स्वप्निल गिरासे

"अगर किसी चीज़ की तेरी..आरज़ू पुरी है...
मगर उसे पाने में तेरी..कोशिश अधुरी है...
तो मत घबरा...बस धैर्य से कदम बढ़ा क्योंकि...
साहस से बढ़ता..हर एक कदम ज़रूरी है...

अगर किसी काम के लिए..तेरे दिल की मंजूरी है...
रूह में उमंग है अगर और चेहरे की हुज़ूरी है..
तो बस उस काम की मंजिल तरफ कदम बढ़ा क्योंकि...
साहस से बढ़ता..हर एक कदम ज़रूरी है..."


1 comment:

  1. bahut mast aricle likhe hai sir aap jaroor ek din ek big blogger banenge
    sir maine bhi ek blog banaya hai please check karke bataie ki kaisa hai mera blog par ka likha hua article
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